Sant Moti Dass ji

सफ़रनामा
मोतीराम से परम संत मोतीदास जी महाराज 
  
माता पिता 
संत बिहारीदास के घर कोई संतान नहीं थी। एक दिन संत मोतीदास जी की माता के दिल में विचार आया की हमारा वंश आगे कैसे बढ़ेगा। माता जी ने कहा कि '' बाबा रामदेव जी आराधना करते है हमें संतान प्राप्ति होगी।संत बिहारीदास जी ने '' फ़रमाया कि सारी सृष्टि के बच्चे हमारे ही तो बच्चे है। माता जी की जिद करने पर संत बिहारीदास जी ने सच का सौदा किया और बाबा रामदेव जी रुणिचा सरकार के सामने प्रण लिया कि अगर आप हमारा वंश आगे बढ़ाते है तो मैं वचन देता हू कि मेरी संतान के समझदार अर्थात होश सँभालते ही मैं जीवित समाधि लूंगा और 

*जन्म*
बाबा की किरपा से 05 /07/1968  को संत बिहारीदास जी के घर माता संत बख्तुदास जी की कोख से संत मोतीदास जी का जन्म हुआ। 

*बचपन*
बचपन से ही गुरु जी भक्ति भाव व जिज्ञासु प्रवृति के शांत, सरल व हसमुख स्वभाव के इंसान थे।

*शिक्षा*
गुरु जी ने अक्षर ज्ञान शिक्षा विजयनगर, अनूपगढ़ में ली। 

*बल्यावस्था*
गुरु जी की बल्यावस्था 23 जी. बी. , 9  आर.बी. , 73 एन.पी. में गुजरी। बल्यावस्था से ही ईश्वर भक्ति की लगन थी। धीरे धीरे गुरु जी में  संत गुण उत्पन्न होने लगे।

*दीक्षा*
गुरूजी को इनके दादा श्री प्रतापदास जी , ताया  जी श्री गणेश दास जी  व पिता श्री  बिहारीदास जी  महाराज द्वारा संत घराने के होने के कारण नाम दान की दीक्षा श्री राणदास जी महाराज द्वारा प्राप्त हुई। 

*भक्ति*
*आराधना*
*आध्यात्मिक ज्ञान*
*सामाजिक सेवा*
*सम्मान*









































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